July 23, 2024
Sukhi Chut Ki Chudai

नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सभी लोग, मैं साक्षी आप सभी का readxxstories.com पर हार्दिक स्वागत करती हूँ। मैं आपके लिए एक मस्त Family Sex Story लेकर आई हूँ, हमारी आज की इस कहानी का शीर्षक खुले आसमान में माँ की Sukhi Chut Ki Chudai

इस हिंदी सेक्स स्टोरी के लेखक राकेश है और अब आगे की कहानी राकेश के शब्दों में है……..

मेरा नाम राकेश है और मेरी उम्र 20 साल है, मैं अभी पढाई करता हूं।
मेरे घर में मेरी मां (उम्र 42) और पापा (उम्र 46), भाई, बहन और मैं हूं।
पापा विदेश में रहते हैं और साल में एक ही बार एक महीने के लिए आते हैं। हम Delhi से हैं।

अब मैं अपनी माँ के बारे में बताता हूँ। मेरी माँ का नाम निशा है और उनकी उम्र 42 साल है।
उनका फिगर 36″30″36″ है, मेरी मां पूरी तरह से सुंदरता की दुकान है।
उनको देख कर कोई भी पागल हो जाएगा। माँ घर में नाइटी, या साड़ी ही पहनती है।
वो साड़ी के अंदर ब्रा-पैंटी बहुत कम ही पहनती है।

मेरे पड़ोस में एक मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, जिसका नाम आनंद था।
वो मुझसे उम्र में बड़ा था और मुझसे सीनियर था।
मुझे पढाई में जब भी दिक्कत होती थी, तो वो ही हल करता था।
वो दिखने में काफी स्वस्थ और तगड़ा था।

आनंद मेरी माँ को पसंद करता था।
ये बात मुझे तब पता चली, जब उसने मेरे घर आना-जाना कुछ ज्यादा ही शुरू कर दिया।
वो हमेशा माँ को घूरता रहता था।
मेरे घर की छत उसके घर की छत से सटी हुई थी।

हम लोग गाँव में रहते हैं।
माँ जब भी छत पर कपड़े सुखाने जाती थी।
तो वो भी अपनी छत से हमारी छत पर आ जाता था और माँ की मदद करने के बहाने से उनकी गांड को टच करता था।
लेकिन माँ ये सब इग्नोर कर देती थी।

आनंद माँ को हमेशा मदद करता रहता था।
जब भी मां को बाजार जाना होता था, तो आनंद खुद उनको बाइक पर लेके जाता था।
रास्ते में वो उनकी चूचियों के अपनी पीठ में टच होने का मजा लेता था।

अब अपनी देसी सेक्स कहानी पर आते हैं…..

गर्मी के दिन छुट्टिया चल रही थी। मेरा भाई और बहन दोनो नानी के यहाँ गये थे।
मुझे कहीं घूमना पसंद नहीं है, इसलिए मैं उनके साथ नहीं गया और मेरे कारण मां भी नहीं गई।
पापा तो वैसे ही विदेश में रहते हैं।

अब घर पर मैं और मां ही हैं। माँ को एक दिन दोपहर में सुसु लगा, तो वो बाथरूम में चली गई।
हमारा बाथरूम बिना दरवाजे के है और खुला है।
माँ को जब भी सूसू लगती है, तो वो टॉयलेट में नहीं जाती और बाथरूम में ही करती है।

मेरे टॉयलेट में भी दरवाजा है, लेकिन बाथरूम में नहीं है।
उस दिन जब माँ जैसे ही पेशाब करने के लिए बैठी, वैसे ही आनंद घर में आ गया और माँ की चूत को देखने लगा।
माँ को आदत थी बाथरूम में सुसु करने की और बाथरूम में दरवाजा तो था ही नहीं।

जब मां ने पेशाब कर लिया, तब आनंद वहां से चला गया।
मैं ये सब बाथरूम के सामने वाले रूम से देख रहा था।
आनंद जब शाम को घर आया, तो वो माँ से कुछ नहीं बोला।
शाम को बहुत ज्यादा गर्मी थी, तो आनंद ने कहा-

आनंद: क्यों ना आज छत पर सोया जाए।

तो मैने झट से कहा: हा ठीक है।

फिर आनंद ने माँ की और देखा, तो माँ ने कहा-

माँ: मैं भी छत पर ही सो जाउंगी।

माँ ने जब आनंद से ये बात कही, तो आनंद समझ गया था, कि माँ दोपहर की घटना से नाराज नहीं थी।
मैंने आनंद से कहा-

मैं: क्यू ना तुम भी हमारी छत पर ही सो जाओ?

तभी माँ भी बोल पड़ी: हा आनंद, वैसे भी तुम्हारी छत हमारी छत से सटी हुई है। तुम भी खाना खा कर सीधे छत पर ही आ जाना।

आनंद मेरी माँ की ये बात सुन कर खुश हो गया। फ़िर रात को मैंने और माँ ने खाना खाया और माँ सब बरतन वगैरा साफ करके बोली-

माँ: चलो बेटा, ऊपर सोने चलते हैं और देखो, आनंद भैया आये नहीं।

फिर मैं एक-दो बिस्तर लेकर छत पर चला गया।
छत पर काफी शानदार ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी।
फिर मैंने दोनों बिस्तार लगाए और तब तक माँ और आनंद भैया भी आ गए। फ़िर माँ आनंद से बोली-

माँ: आनंद तुम राकेश के साथ सो जाओ।

आनंद ने कहा: ठीक है।

फिर हम तीनो सोने लगे, आधी रात को जब मेरी नींद खुली, तो मैंने देखा, कि माँ बिस्तर पर नहीं थी और कहीं सू-सू की आवाज़ आ रही थी।

तब मैंने देखा, कि माँ छत पर एक कोने में सूसु कर रही थी और आनंद भैया गौर से माँ की चूत देख रहे थे।

फिर मां पेशाब करके सो गई और आनंद भैया भी सो गए।
फिर सुबह हुई और दिन भर सब सामान्य रहा।
रात को फिर आनंद भैया हमारे साथ ही सोए।
रात को माँ जब सुसु के लिए छत के एक कोने में गई, तो आनंद भैया दूसरे कोने में गए, ताकि वो माँ की चूत देख सके।

फिर जब चूत देख कर आनंद भैया सोने आये, तो माँ समझ गई थी, कि आनंद उनकी चूत के दर्शन कर चुका था।
आनंद ने माँ को देख कर मुस्कुराया और माँ भी शर्मा गई।
जब रात को मेरी नींद खुली, तो मैंने देखा कि आनंद भैया का एक पैर माँ के पैर पर था और उनका हाथ माँ की चूची पर था।

अब वो माँ की चूची को सहला रहे थे। फिर माँ ने करवट फेरी और आनंद भैया का हाथ और पैर हटा दिया।
फिर उन्होंने अपना मुंह आनंद भैया की ओर कर लिया।
अब आनंद भैया मां के करीब चले गए और फिर से मां की चूची को सहलाने लगे।

माँ के मुँह से धीरे से उउउफफफ्फ़ निकला और आनंद भैया समझ गए, कि माँ गर्म हो चुकी थी।
माँ को चुदे हुए भी कई महीने हो चुके थे।
माँ का ग्रीन सिग्नल मिलते ही आनंद ने माँ को बाहों में भर लिया और लिप किस करने लगे।

वो दोनों एक-दम गर्म हो चुके थे और उन दोनों की सांसें तेज़ हो चुकी थीं।
आनंद भैया माँ के प्यार में थे और माँ उनका साथ दे रही थी और उनके बाल भी सहला रही थी।
आनंद भैया माँ की चुचिया मसल रहे थे और चूत सहला रहे थे।

अब माँ आनंद के लंड से खेल रही थी। फिर थोड़ी देर बाद दोनों अलग हुए।
फिर आनंद ने अपनी पैंट उतारा दी और मां की साड़ी को पेट तक उठा दी।
मैं सोने का नाटक करते हुए सब देख रहा था, फिर वो दोनों 69 पोजीशन में आ गए और आनंद माँ की चूत चाटने लगे।
अब माँ गर्म हो चुकी थी और उसके मुँह से कामुक सिसकियाँ निकलने लगी थी।

माँ: आअहह… आअहह.. उफ़…. हम्म्म.. आनंद मजा आ रहा है आह्ह..

माँ ये आवाज़ देने लगी और आनंद का लंड मुँह में लेके चुसने लगी।
आनंद भी गर्म होकर आअहह.. आअहह.. करने लगा और वो दोनों एक-दूसरे को चूस और चाट रहे थे।

फ़िर दोनों सीधे हुए और माँ अपनी टांगे फ़ैला कर आनंद को चोदने के लिए न्योता देने लगी।
फ़िर आनंद ने अपने लंड को चूत पर सेट किया और रगड़ने लगा।

माँ: आअहह… हय… हय… आआहह.. चोद डाल आनंद मुझे, अब और ना तड़पाओ और फाड़ दो मेरी चूत को आअहह..

आनंद माँ की बाते सुन कर जोश में आ गया और फिर आनंद ने एक ज़ोर का शॉट मारा और आधा लंड माँ की चूत में डाल दिया।

मां चीख निकल पड़ी और आनंद ने उनका मुंह अपने हाथ से बंद कर दिया और एक और शॉट मारा।

इसके बाद आनंद ने माँ की चूत में पूरा लंड पेल दिया और माँ कराह उठी।
फिर जब आनंद ने माँ के चुचो को सहलाया तो माँ शांत हुई।
फिर आनंद धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।
धीरे-धीरे मां को काफी आनंद आने लगा और मां मजे से सिस्कारियां लेते जा रही थी।

माँ: आअहह.. आअहह.. चोद मुझे आनंद, मेरे बेटे के दोस्त चोद मुझे आह्ह…

दोनों की चुदाई एक-दम रफ़्तार पर थी।
खुले आसमान में माँ और आनंद की चुदाई चाँदनी रात में चमक रही थी।
माँ अपनी दोनों टांगो से आनंद को लपेटे हुए थी और आनंद माँ की टांगो के बीच खचा-खच लंड पेल रहा था।

थोड़ी देर में माँ आहें भरते हुए झड़ गई और माँ की गर्मी से आनंद भी झड़ गया।
फिर दोनों अपने-अपने कपड़े ठीक करके सो गए।
इधर मैं भी उनकी चुदाई देख कर अपनी पैंट में झड़ गया था।
अब आनंद माँ को हर रोज़ पेलता है।

आपको मेरी माँ की चुदाई की कहानी, कैसी लगी, मुझे कमेंट करके जरूर बताइयेगा। धन्यवाद।

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